कबीर की साखी :-" ग्यान प्रकासा गुरु मिला, सों जिनि बीसरिं जाइ ।जब गोविंद कृपा करी, तब गुरु मिलिया आई ।।का अर्थ ।


कवि  कबीरदास जी की साखी -

" ग्यान प्रकासा गुरु मिला, सों जिनि बीसरिं जाइ ।
जब गोविंद कृपा करी, तब गुरु मिलिया आई ।।

का अर्थ ।



हिन्दी साहित्य


कवि कबीर , कबीरदास जी

कबीर की साखी :-

" ग्यान प्रकासा गुरु मिला, सों जिनि बीसरिं जाइ ।
जब गोविंद कृपा करी, तब गुरु मिलिया आई ।।

का अर्थ ।





प्रस्तुत पंक्ति में कबीरदास जी सद्गुरु की प्राप्ति के बारे में कहें हैं । यदि जीवन में सच्चा गुरु मिल जाएं तो उन्हें भूलना नहीं चाहिए , सच्चा गुरु की प्राप्ति करना इतना आसान नहीं है , जीवन में तो कितने गुरु आते पर कुछ ही सच्चा गुरु बन पाते हैं ।  जब ईश्वर (गोविंद) की कृपा होती है तब ही सच्चा गुरु की प्राप्ति होती है , इसलिए सच्चा गुरु (सद्गुरु) को कभी नहीं भूलना चाहिए ।

साखी :- प्रमाणित आधारित दोहे को साखी कहते हैं ।


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विवरण देखें ।

https://youtu.be/0hq5DNG1oiQ

27/02/2021 , शनिवार





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