विश्व कविता दिवस के दिन हुई , साहित्य संगम संस्थान, वाग्देवी मंच पर सचिव सम्मेलन ।

समाचार :-
दिनांक :- 21/03/2021
दिवस :- रविवार

विश्व कविता दिवस के दिन हुई , साहित्य संगम संस्थान,
वाग्देवी मंच पर सचिव सम्मेलन ।

21 मार्च 2021, रविवार सुबह 11 बजे से , विश्व कविता दिवस के शुभ अवसर पर साहित्य संगम संस्थान, वाग्देवी मंच पर सचिवों का सम्मेलन रहा , इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय आ. राजवीर सिंह "मंत्र" जी, गुरूदेव आ. डॉ राकेश सक्सेना जी, आ. कुमार रोहित रोज़ जी , आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी , आ. भारत भूषण पाठक जी , शामिल हुए है ।
सर्वप्रथम राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय आ. राजवीर सिंह "मंत्र" जी
प्रांतीय इकाई सचिवों की बैठक में मंत्रोच्चारण किये ,

उनकी प्रस्तुति इन लिंक के माध्यम से सुन सकते हैं । :-
https://youtu.be/aZhDeTDPFIA

उसके बाद सह अध्यक्ष महोदय आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी
माननीय सचिवों के साथ महत्वपूर्ण परिचर्चा में कुछ महत्वपूर्ण मुद्दें.. रखें ,जिसे आप इन लिंक के माध्यम से सुन सकते हैं । :-

https://youtu.be/GeEwvlZYQLI

सादर नमन मंच मैं मिथलेश सिंह मिलिंद सह अध्यक्ष साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली, साहित्य संगम संस्थान की प्रांतीय इकाइयों की मौजूदा कार्यप्रणाली व उनसे जुड़ी समस्याओं तथा उसके निवारण हेतु आपसी विचार विमर्श स्वरूप आप सभी प्रांतीय इकाइयों के माननीय सचिवों के सम्मुख मौजूद हुआ हूँ, जिसका दायित्व मुझे साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली द्वारा आज के लिए प्रदान किया गया है जिसका मैं हार्दिक आभारी हूँ 🙏 इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे संस्थान के महागुरुदेव आ. डॉ राकेश सक्सेना जी और संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष आ श्री राजवीर सिंह मंत्र जी व कार्यकारी अध्यक्ष आ कुमार रोहित रोज़ जी को मेरा सादर प्रणाम नमस्कार 🙏 साथ कार्यक्रम में उपस्थित सभी गुणीजन व सचिवों को मेरा नमस्कार प्रणाम करता हूँ 🙏
सबसे पहले आप सभी माननीय सचिवों को यह बताना चाहूँगा कि हम सचिवों का संस्थान के प्रति क्या दायित्व है, जिससे अभी तक लगभग ज्यादातर सचिव अनभिज्ञ हैं। सचिव का संक्षिप्त अर्थ यह होता है कि सचिव विभिन्न प्रशासनिक व लिपिक कर्तव्यों के माध्यम से संस्थान के सुचारू संचालन को बनाए रखने के साथ-साथ मासिक, षडमासिक व वार्षिक कार्ययोजना को सुनियोजित करने में सहभागिता दिखाए। ऐसे में हम सचिवों की भी जिम्मेदारी बनती है कि हम संस्थान के साहित्योन्नयन में सहभागी बनें (स्वेच्छा व स्वरुचि की स्वतंत्रता के साथ)

अब बात हम आज की परिचर्चा के अहम मुद्दों पर करेंगे, जिस पर आपके विचारों का स्वतंत्र रूप से स्वागत है...

1- जैसा कि हम सभी जानते हैं कि साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली आभासी साहित्यिक जगत का सबसे विस्तृत व सक्रिय संस्थान है, परंतु इस सक्रियता को पूर्ण विकसित करने हेतु हमें मूर्त रूप में धरातलीय पृष्ठभूमि की महती आवश्यक है क्योंकि संस्थान को मंचीय अवस्था में लाने से गांव-गांव व जन-जन तक इस साहित्योन्नयन का सहयोग प्राप्त होगा।

2- हर प्रदेश इकाई की कम से कम एक मासिक पत्रिका का संपादन अवश्य किया जाना चाहिए जिससे इकाई की लेखनी में सुधार आने के साथ-साथ लिखने की सक्रियता भी बढने की खासी उम्मीद रहती है।

3- सबसे अहम बात यह है कि हर प्रदेश इकाई की शाखा व उसकी पत्रिका पंजीकृत अवस्था में होनी चाहिए तभी हम अपनी इकाई की पत्रिका को जन-जन तक आसानी से मूर्त रूप में पहुंचा सकते हैं।

4- हर पंजीकृत इकाई का अपना एक बैंक खाता अवश्य होना चाहिए वह इसलिए क्योंकि संस्थान के बढते दायरे के मद्देनजर हर इकाई को साहित्योन्नयन हेतु अपने-अपने स्तर पर धरातलीय कार्यक्रम व पत्रिका प्रकाशन आदि कार्यों में स्वयं को सुदृढ़ करना होगा। जिससे संस्थान और इकाई के आपसी सहयोग द्वारा बड़े से बड़ा कार्य आसानी से सम्पन्न किया जा सकता है।

5- युवाओं व नवोदित साहित्यकारों को विशेष वरीयता प्रदान की जाए ताकि उनकी 21शवीं सदी की ऊर्जा का उपयोग संस्थान व साहित्योन्नयन हेतु किया जा सके। ऐसा इसलिए क्योंकि युवाओं में तकनीकी ज्ञान का नेतृत्व करने की पूरी क्षमता पहले से ही मौजूद है। तकनीकी का साहित्य में समावेश सच में ऐतिहासिक संगम होगा।

6- अंतिम कथन हर प्रदेश इकाई के द्वारा मंचीय व धरातलीय स्तर पर मासिक /षडमासिक काव्य गोष्ठी का भी प्रावधान किया जाना चाहिए ताकि इस साहित्यिक कार्यों को मूर्त रूप में भी समाज के सम्मुख प्रस्तुत किया जा सके।

अंततः यह कहना चाहूंगा कि हमारा यह लक्ष्य बड़ा जरूर दिख रहा है मगर असंभव बिल्कुल भी नहीं है क्योंकि कहा जाता है कि आपसी सहयोग से बडे़ से बड़ा कार्य भी छोटा लगने लगता है तो आइए हम सभी साहित्यिक एकता की एक मिसाल प्रस्तुत करें, जिसकी महती आवश्यकता हेतु हम सभी का आह्वान हमारी संस्थान ने किया है। तो आइए इन सभी मुद्दों पर आप सभी के विचारों की हार्दिक अपेक्षा है, जिस पर आपकी प्रतिक्रिया पूर्णतः स्वतंत्र रूप से अभिनंदनीय है आप सभी के विचारों का हार्दिक स्वागत है।

नमो नमः 🙏🌹

आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी सचिव, उत्तर प्रदेश इकाई
आ.प्रतिभा पाण्डेय जी ,सचिव उड़ीसा इकाई  ,आ. दीप्ति प्रिया जी बिहार इकाई सचिव, आ. मंजूषा किंजवडेकर जी
सचिव महाराष्ट्र इकाई , आ. सरोज सिंह ठाकुर जी
छत्तीसगढ़ इकाई , आ. सोनल ओमर जी गुजरात इकाई की सचिव, आ. बजरंग लाल केजड़ीवाल जी उप सचिव असम इकाई , आ. शैलेश कुमार जी , सचिव झारखंड इकाई, आ. जयश्रीकांत जी सचिव राजस्थान इकाई, आ. आशीष पाण्डेय जिद्दी जी सचिव, मध्यप्रदेश इकाई, आ. पंकज माहर जी पंजाब इकाई के सचिव , आ. अमित डोगरा जी सचिव
हिमाचल प्रदेश, आ.उज्जवल अग्रवाल जी तेलंगाना इकाई,
आ. मधुर वादिनी जी, उत्तराखंड इकाई सचिव, आ. भगत सिंह राणा हिमाद जी सचिव दिल्ली इकाई, आ0 आनंद कृष्णन जी तमिलनाडु इकाई सचिव व पश्चिम बंगाल इकाई के सचिव रोशन कुमार झा शामिल हुए , सभी सचिवों अपने- अपने मत रखें ।

इस मीटिंग में बंगाल इकाई की सचिव अपनी कुछ निम्न माँग रखें :-

साहित्य संगम संस्थान , पश्चिम बंगाल इकाई के सचिव की
माँ शारदे को नमन करते हुए , आप सभी सम्मानित गुरुजनों सह देवियों को साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई के सचिव रोशन कुमार झा की ओर से सादर प्रणाम 🙏🙏🙏🙏💐💐🌹

विश्व कविता दिवस , World Poetry Day , বিশ্ব কবিতা দিবস , विश्व कविता दिवस की आप सभी सम्मानित साहित्य - प्रेमियों को ढ़ेरों सारी शुभकामनाएं ।

साहित्य संगम संस्थान मंच को पाकर मैं बहुत खुश हूँ , यहां हमें साहित्य की सेवा करने का स्वतंत्र रूप से साहित्य की सेवा करने का मौक़ा प्रदान किया है , इसके लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय आ. राजवीर सिंह "मंत्र", गुरूदेव आ. डॉ राकेश सक्सेना जी, आ. कुमार रोहित रोज़ जी , आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी , आ. भारत भूषण पाठक जी , बंगाल इकाई के अध्यक्षा आ. कलावती कर्वा दीदी एवं साहित्य संगम संस्थान के समस्त पदाधिकारियों को धन्यवाद देना चाहता हूँ , जिन्होंने मुझे साहित्य सेवा करने के लिए प्रेरित किए ,

जिनकी प्रेरणा से हम साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई को अपना  यूट्यूब, ट्विटर , पर मंच तैयार करके सेवा कर रहे हैं ।

आज की इस वाग्देवी मंच पर हो रही मीटिंग में हमारी इकाई की कुछ निम्न माँग है :-

(1) हम ऑनलाइन के साथ-साथ ऑफलाइन भी साहित्य संगम संस्थान को जिले स्तर पर मंच का गठन करना चाहता हूँ , पश्चिम बंगाल के अधिकांश जिलों के साहित्यकारों से हमारा जान - पहचान है ।

(2) प्रत्येक महीने साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई अपनी पत्रिका ऑनलाइन के साथ- साथ ऑफलाइन निकालना चाहता है।

(3) ऑनलाइन काव्य पाठ के साथ - साथ ऑफलाइन के माध्यम से जिले स्तर पर मासिक काव्य पाठ का आयोजन किया जाएं ताकि साहित्य संगम संस्थान जन- जन तक पहुंच सकें ।

क्योंकि आज भी कितने साहित्यकारों साहित्य की सेवा ऑफलाइन कर रहे हैं पर उनका ऑनलाइन से कुछ लगाव न इसके लिए साहित्य संगम संस्थान, पश्चिम बंगाल इकाई उन साहित्यकारों तक पहुंचने के लिए तैयार हैं ,

(4) इकाई व पत्रिका की पंजीकरण की प्रक्रिया क्या - क्या है ।

हमारी लक्ष्य कुछ बड़ी है , पर ये मेरे लिए कुछ नहीं है , देरी हो सकती है , पर मैं लक्ष्य से मुंह मोड़ने वाला नहीं हूँ , इन सभी आवश्यकताओं को पूरा करने के धन की जरूरत है , अभी तो मैं छात्र हूँ , मैं 2015 में दसवीं कक्षा पास करने के बाद काम करके पढ़ रहा हूं , एनसीसी , एन.एस.एस , भारत स्काउट एंड गाइड , सेंट जॉन एम्बूलेंस से ट्रेनिंग करने के साथ साथ विगत चार वर्षों से नि: शुल्क में ग़रीब छात्र - छात्राओं को पढ़ा रहा हूँ , ग्यारहवीं व बारहवीं कला विभाग के साथ साथ मैं खुद हिन्दी से आनर्स कर रहा हूँ तृतीय वर्ष में हूँ और हिन्दी से आनर्स करने वाले छात्र-छात्राओं को पढ़ा भी रहा हूँ , उनमें से कुछ छात्र - छात्राओं हमसे ज़्यादा अंक भी लाएं हैं । इन सबकी प्राप्ति में
आप सभी सम्मानित गुरुजनों सह देवियों का आशीर्वादों है ।

मैं खुद काम करके पढ़ाई करता हूँ , कमाएं हुए पैसों को घर में नहीं बल्कि समाज सेवा में लगाता हूँ ,

अतः जितना हो सके मैं साहित्य सेवा के लिए साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई की उन्नति में मन के साथ धन लगाना चाहता हूँ , ताकि हमारी माँगे पूरी हो , बस आप सभी सम्मानित पदाधिकारियों आशीर्वाद देते हुए हमारा मार्गदर्शन करें ।

धन्यवाद सह सादर प्रणाम 🙏🙏🙏🙏💐

आपका अपना लड़का

रोशन कुमार झा
साहित्य संगम संस्थान , पश्चिम बंगाल इकाई (सचिव)
21/03/2021 , रविवार



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